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यह 5 ग़ददार ना होते तो आज भी भारत सोने की चिड़िया होता

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एक समय ऐसा था जब भारत देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था। लेकिन ये सब अंग्रेजो के आने से पहले था। अब सोने की चिड़िया सिर्फ एक नाम रह गया है। दरअसल हमारे देश को यूं ही सोने की चिड़िया नहीं कहते थे। हमारी उत्पत्ति से अंग्रेजों के समय तक हम वाकई सोने की चिड़िया से कम नहीं थे। भारत देश में सोने की कमी नहीं थी, लेकिन ये बीते समय की बात है। अब ऐसा कुछ नहीं है और इन सब की वजह है युद्ध। भारत देश पर विदेशियों ने कई बार आक्रमण किया। इस वजह से भारत कई बार लूटा गया। आज हम आपको भारत के गद्दार के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने देश के साथ गद्दारी नहीं की होती तो हम आज भी सोने की चिड़िया ही होते- भारत के गद्दार – जयचंद जयचंद- पृथ्वीराज चौहान देश के महान राजाओं में से हैं। उनके शासनकाल में मौहम्मद गौरी ने कई बार आक्रमण किए लेकिन कामयाबी नहीं मिली। वहीं कन्नौज के राजा जयचंद पृथ्वीराज से अपनी बेइज्जती का बदला लेना चाहते थे इसलिए उन्होंने मोहम्मद गौरी से हाथ मिलाकर उसे लड़ाई में मदद की। इसका परिणाम यह हुआ कि 1192 के तराईन की लड़ाई में मोहम्मद गौरी की जीत हुई। मान सिंह मान सिंह-...

रायगढ़ किले का इतिहास

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Raigad Fort – रायगढ़ किला, महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में एक पहाड़ी किला है।मराठा साम्राज्यके राजा छत्रपति शिवाजी महाराजने इस किले का निर्माण किया और 1674 में उन्होंने इस किले को मराठा साम्राज्य की राजधानी बनायी। सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित रायगढ़ किला समुद्र तल से 820 मीटर पर ऊपर है। इस किले में एक तरफ मार्ग से, कड़ी चढ़ाई पर पैदल यात्रा के माध्यमसे पहुंचा जा सकता है, जबकि दूसरी तरफ से यह किला गहरे घाटियों से घिरा हुआ हैं। राज्याभिषेक शिवाजी का राज्याभिषेक रायगड में, 6 जून 1674 ई. को हुआ था। काशी के प्रसिद्ध विद्वान गंगाभट्ट इस समारोह के आचार्य थे। उपरान्त 1689-90 ई. में औरंगज़ेब ने इस पर अधिकार कर लिया। यह शानदार किला 1030 में चंद्रराव मोरे द्वारा बनाया गया था। उस समय यह किला “रयरी का किला” के नाम से जाना जाता था लेकिन 1656 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने प्राचीन मौर्य वंश के राजवंश चंद्रराव मोरे के इस किले पर कब्जा कर लिया। रायगढ़ किले को शिवाजी महाराज ने पुनर्निर्मित किया और रीयरी के किले का विस्तार किया और फिर इसकानामकरण “रायगढ़” के रूप में किया, जिसका अर्थ है कि...